Goswami Shri Divyesh Kumar Ji Maharaj
गोस्वामी श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री का जन्म शुद्धादैत पुष्टि भक्तिमार्ग प्रवर्तक जगद्गुरू श्रीमद् वल्लभाचार्यजी के कुल में पुष्टिमार्ग की द्वितीय पीठ परंपरा के अंतर्गत हुआ। आपको पुष्टिमार्गीय दीक्षा एवं शिक्षा आपके पितृचरण पूज्य पाद गोस्वामी श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री से प्राप्त हुई जिनका चरित्र एवं व्यक्तित्व आपके पूर्वज दीनतासागर श्री हरिरायजी महाप्रभुजी से अत्यंत प्रभावित था। आपकी पखावज वादन की शिक्षा ५ वर्ष की आयु से ही आपके पितृचरण श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री के निर्देशन में प्रारंभ हुई, जिनका नाम शास्त्रीय संगीत जगत में बहुत ही प्रसिद्ध एवं अक्षुण्ण है। गोस्वामी श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री सफलता के स्वर्णिम आयाम स्थापित करते हुए पखावज वादन में ऑल इण्डिया रेडिया (आकाशवाणी) एवं दूरदर्शन के टॉपग्रेड के कलाकार रहें।
गोस्वामी दिव्येशकुमारजी महाराजश्री पुष्टि भक्तिमार्ग के अंतर्गत आचार्य हैं एवं इन्दौर में निवास करते है। महाराजश्री ने विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक महोत्सव एवं समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की है। आपश्री ने विभिन्न स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों, रक्तदान शिविरों का उद्घाटन व दौरा करने के साथही विभिन्न लोक कल्याण के कार्य किये है। पूज्य महाराजश्री ने जरूरतमंदो एवं गरीबों के उत्थान के उद्देश्य से ”गोस्वामी श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री चेरीटेबल ट्रस्ट” का गठन किया है जो गरीबों के ईलाज एवं बालिकाओं के विवाह इत्यादि में अपना सहयोग एवं योगदान देती है।
श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री ऐसे प्रथम वल्लभकुल आचार्य हैं जिन्होंने सन् २०१५ में सबसे कम आयु में हजारों वैष्णवों के साथ ब्रज चौरासी कोस की ऐतिहासिक यात्रा की तथा सन् २०१९ में ११०० वैष्णवों को साथ लेकर श्रीगिरिराजजी की दण्डवती परिक्रमा की जिसमें ५८४ वैष्णवों ने महाराजश्री के साथ दण्डवती परिक्रमा कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया जिसे World Book of Records, London द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
वर्तमान युग के सभी जीवों और मुख्यतः युवाओं में पुष्टिभक्ति के बीज का अंकुरन करने के उद्देश्य से महाराजश्री प्रयासरत है। आप श्री वल्लभ पुष्टिरस मण्डल के अध्यक्ष है। मण्डल के विभिन्न उद्देश्यों में प्रमुख उद्देश्य वैष्णवों में वैष्णवता की भावना का संचार करना है। मण्डल के द्वारा धार्मिक पत्रिका वल्लभवाक्सुधा का प्रकाशन किया जाता है जिसके पाठक भारत सहित विश्व के विभिन्न भागों में फैले हुए है। मण्डल द्वारा भाव प्रबोधिका नामक श्रंखला के अंतर्गत सीडी का भी प्रकाशन एवं वितरण किया जाता है जिसमें भाव भावना, सेवा प्रकार एवं पुष्टि मार्गीय कीर्तनों एवं राग-रागिनीयों आदि का समावेश होता है। महाराजश्री की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में श्रीवल्लभ पुष्टि रसमण्डल एवं वल्लभ वाक् सुधा दोनों ने ही आशातीत सफलता अर्जित कर स्वर्णिम आयाम स्थापित किया है। प्रत्येक गुरूवार एवं रविवार को महाराजश्री स्वयं वैष्णवों को अपनी बैठक (निज निवास) पर पुष्टिमार्गीय कीर्तन ज्ञान की शिक्षा प्रदान करते हैं। यहां तक की वल्लभ वाक् सुधा के प्रत्येक अंक में एक विशेष राग एवं उसके ज्ञान की बारिकीयों एवं गायनकला का वर्णन होता है।
गोस्वामी दिव्येशकुमारजी महाराजश्री को संगीत की शिक्षा अपने पूर्वजों से आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त हुई है। आप नाना पानसे घराने से संबंधित है। आपश्री ने विभिन्न प्रमुख मंचो एवं प्रसिद्ध समारोहों व स्थानों पर पखावज वादन की कलाप्रदर्शन द्वारा अल्पायु में ही उंचाईयों का स्पर्श किया है। आपने ऑल इण्डिया रेडियो प्रतियोगिता-२०१२ में पखावज वादन के अंतर्गत विशेष प्रथम पुरस्कार एवं भारत के राष्ट्रपति की ओर से विशेष पुरस्कार प्राप्त किया है। आप ऑल इण्डिया रेडियों के ”बीहाई” ग्रेड के कलाकार है। आपको विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं जिनमें प्रतिष्ठित ”पण्डित वसंतराव घोरपड़कर मेमोरियल अवार्ड” प्रमुख है जो आय.टी.सी.संगीत रिसर्च अकेडमी द्वारा एन.सी.पी.ए. मुंबई में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रदान किया गया था।
आपश्री ने विभिन्न आयोजनों सहित राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तरों की अनेकों एकल एवं युगल प्रस्तुतियां दी है जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नांकित है :-
१. दूरदर्शन, इन्दौर
२. गोदरेज डांस एकेडमी थियेटर, एन.सी.पी.ए., मुंबई
३. कम्यूनिटी हॉल, बहरीन
४. ध्रुपद मेला, वाराणासी
५. बसंत उत्सव, सप्तक, अहमदाबाद
६. हेमूगड़वी हॉल, राजकोट
७. शनिजयंती महोत्सव, इन्दौर
८. ध्रुपद समारोह, वृंदावन
९. ऑल इण्डिया रेडियो, इन्दौर
१०. प्रीतम लाल दुआ सभागृह, इन्दौर
११. श्रावण महोत्सव, उज्जैन
आपके प्रथम लालजी गो. श्री १०५ श्री प्रियव्रजरायजी (श्री देवकीनंदनजी) एवं द्वितीय लालजी गो. श्री १०५ श्री अनुश्रुत बावाश्री (श्री गोविन्द रायजी) है।