Shri Govindrai Ji

Shri Govindrai Ji (श्री गोविन्दरायजी)

श्री गोविन्दरायजी

‘श्रीगोविन्दजी आनन्दमय, धर्म सकलनु धाम रे रसना।

श्रीराणीजी रंजना रूडला, भक्त सकल विश्राम रे रसना॥

श्रीगुसांईजी के द्वितीय लालजी (सुपुत्र) श्री गोविन्दरायजी का प्राकट्‌य विक्रम संवत्‌ १५९९ में अगहन कृष्ण अष्टमी के शुभदिन अड़ेल में हुआ। श्रीगुसांईजी श्री गोविन्दरायजी को प्यार से ‘राजाजी’ नाम से सम्बोधित करते थे।

श्री गोविन्दरायजी बडे ही आनन्दमय और धर्मशील स्वरूप वाले हुए। आपश्री का विवाह श्रीराणी बहुजी के साथ हुआ। आपश्री के चार लालजी हुए।

श्री गोविन्दरायजी सदैव सेवा में मग्न रहते थे एवं गम्भीर स्वभाव के धनी रहे।