Shri Vallabh Pushtiras Mandal

Shri Vallabh Pushtiras Mandal (श्रीवल्लभ पुष्टि रस मण्डल)

परिचय :

श्रीप्रभु के समान ही श्रीमदाचार्यचरण श्रीमहाप्रभुजी का स्वरूप भी ”रसो वै सः” रसमय ही है। आपश्री का कृपा प्रसाद वल्लभीय सृष्टि पर अहेतु अनुग्रह ही पुष्टिभक्ति मार्ग का प्राकट्‌य है। इस पुष्टि की रसमाधुरी का पान जीवो को करवाने के उद्देश्य से ही हमारे प्रेरणास्त्रोत नि.ली. पूज्यपाद गोस्वामी श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री द्वारा उनके शुभ जन्म दिवस पर श्रीवल्लभ पुष्टि रस मण्डल का गठन आषाढ़ शुक्लपक्ष पूर्णिमा दिनांक २५ जुलाई २०१० को किया गया था। पूज्यपाद गोस्वामी श्री १०८ श्री दिव्येश कुमारजी महाराजश्री की सर्वाध्यक्षता एवं नेतृत्व में श्रीवल्लभ पुष्टि रस मण्डल द्वारा वैष्णवों के हितार्थ अनेकों कार्यक्रम निम्नानुसार किये गये-

पू.पा.गो. १०८ श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री के आशीर्वाद से सर्वप्रथम त्रैमासिक पुष्टि मार्गीय पत्रिका ”वल्लभ वाक्‌सुधा” का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया और १० वर्षों से निरंतर पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें लगभग २१०० वैष्णव आजीवन सदस्य हैं। इस पत्रिका के माध्यम से पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार एवं संगीत कला, पाक कला, पुष्टि आचार्यों के विभिन्न ग्रन्थों के लेख, उत्सवों आदि की विस्तृत सतत्‌ जानकारी दी जा रही है। इस पत्रिका ने वैष्णव सम्प्रदाय के मध्य अपनी विशेष छाप छोड़ी है।

मण्डल द्वारा श्री ठाकुरजी के विभिन्न मनोरथ एवं समयानुसार विभिन्न आयोजन प्रतिवर्ष किए जाते हैं, जैसे की फागउत्सव, गुरू पूर्णिमा, रासगरबा, स्वास्थ्य शिविर, गौसेवा, तुलसी पौधे वितरण इत्यादि।

श्रीदिव्य अलौकिक ब्रजयात्रा २०१५ मे, श्रीदिव्य अलौकिक बैठक यात्रा (श्री चम्पारण्य – श्री जगन्नाथपुरी) वर्ष २०१७ में, श्रीदिव्य अलौकिक श्रीगिरिराजजी दण्डवती परिक्रमा वर्ष २०१९ में इत्यादि भव्य आयोजन किए गए, जिनकी सुगन्ध संपूर्ण विश्व में फैली हुई है।

भव्य आयोजनों की संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है-

श्रीदिव्य अलौकिक ब्रजयात्रा २०१५ में पू.पा.गो. श्री १०८ श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री की सर्वाध्यक्षता में एवं गो. चि. श्री प्रियव्रजरायजी बावाश्री (श्री देवकीनन्दनजी) के सानिध्य में ब्रजयात्रा का आयोजन किया गया । आपश्री के सानिध्य में हजारों वैष्णवों ने पाल में रहकर चालीस दिवसीय ब्रज चौरासी कोस पैदल परिक्रमा करते हुए प्रभु के दर्शन लाभ लेते हुए सानन्द ब्रजयात्रा की।

ब्रज यात्रा का शुभारम्भ भाद्रपद सुदी अष्टमी (राधाष्टमी) सोमवार २१ सितम्बर को हुआ एवं पूर्णिमा २७ अक्टूबर २०१५ मंगलवार को पंचकोषी (बाह्यगृही) परिक्रमा करके विसर्जन किया गया।

पू.पा.गो. श्री १०८ श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री ने मात्र २४ वर्ष की आयु में हजारों वैष्णव सम्प्रदाय के अनुनायियों को साथ लेकर श्रीठाकुरजी को लाड़ लडाते हुए हम सभी वैष्णवों को शुभाशीष देते हुए निर्विघ्न यात्रा सम्पन्न की आपश्री ने सम्पूर्ण वल्लभ कुल में इतनी अल्पायु में ब्रजयात्रा का आनन्द बरसाया वो अपने आप में विश्व सराहनीय है।

महाराजश्री की सर्वाध्यक्षता एवं नेतृत्व में श्रीदिव्य अलौकिक बैठक यात्रा महोत्सव २०१७ (श्रीचम्पारण्य एवं श्रीजगन्नाथपुरी) एवं छप्पनभोग (बडा मनोरथ) का मंगल आयोजन मण्डल द्वारा आयोजित किया गया। श्रीबैठक यात्रा में श्रीचम्पारण्य-श्रीजगन्नाथपुरी स्थित श्रीमहाप्रभुजी की बैठकजी में झारी चरणस्पर्श, पावन लीलास्थली के दर्शन, आपश्री के वचनामृत, नित्य अलौकिक मनोरथ, बधाई कीर्तन एवं रास गरबा आदि आनन्द वैष्णवों को दिया गया।

इस दिव्य अलौकिक बैठक यात्रा में ७०० वैष्णवों ने भाग लिया।

पू. पा. गो श्री १०८ श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री की सर्वाध्यक्षता एवं नेतृत्व में श्री दिव्य अलौकिक श्री गिरिराजजी दण्डवती परिकमा – २०१९ सानन्द सम्पन्न हुई।

दण्डवती परिकमा का शुभारम्भ राष्ट्रीय पर्व २६ जनवरी २०१९ को हुआ। एवं कार्यक्रम का समापन प्रकृति पर्व बसन्त पंचमी १० फरवरी २०१९ को हुआ। श्रीवल्लभ पुष्टि रस मण्डल के तत्वावधान में नि. ली. पू. पा. गो. श्री १०८ श्री देवकीनन्दनजी महाराजश्री की सद्‌प्रेरणा एवं पू. पा. गो. श्री १०८ श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री की सर्वाध्यक्षता तथा पू. पा. चि. श्री प्रियव्रजरायजी बावाश्री के सानिध्य में श्रीगिरिराजजी (श्री गोवर्धन पर्वत) की सातकोस (२१ कि.मी.) की दण्डवती परिक्रमा (जिसके अन्तर्गत भूमि पर साष्टांग दण्डवत करते हुए आगे बढ़ते हैं) का आयोजन जतीपुरा (गोवर्धन) में प्रभु के विभिन्न मनोरथ, नित्य सत्संग सभा, पू. पा. महाराजश्री के वचनामृत एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों लोकनृत्य (रासलीला), लोक संगीत के साथ आनन्द से सम्पन्न हुआ।

उक्त दण्डवती परिक्रमा को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड लंदन में स्थान प्राप्त हुआ जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

श्री दिव्येशकुमारजी महाराजश्री पूरे वल्लभ कुल में ऐसे प्रथम बालक हैं जिन्होंने सन्‌ २०१५ में सबसे कम आयु में हजारों वैष्णवों के साथ चौरासी कोस की ब्रज यात्रा की और सन्‌ २०१९ में ५८४ वैष्णवों के साथ श्री गिरिराजजी की दण्डवती परिक्रमा कर विश्व रिकार्ड बनाया।

विगत नौ वर्षों में आपश्री के सानिध्य में वैष्णवों के अपार प्रेम और सहयोग से उपयुक्त विभिन्न सफल आयोजन किए गए। आशा करते हैं कि भविष्य में प्रभु कृपा से श्रीवल्लभ पुष्टि रस मण्डल सुपथ पर अग्रसर होता रहेगा।

मण्डल के उद्देश्य 

१) श्रीमद्‌ वल्लभाचार्यजी के मूल सिद्धान्तों का प्रचार एवं प्रसार करना।

२) श्रीमद्‌ वल्लभाचार्यजी के प्राचीन साहित्य का संरक्षण करना एवं आने वाली पीढ़ी से उनका परिचय कराना।

३) श्रीमद्‌ वल्लभ साहित्य के पठन-पाठन एवं उसके प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

४) भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को जागृत करना।

५) लुप्तप्राय प्राचीन संगीत (हवेली संगीत) का संरक्षण एवं लुप्तप्राय प्राचीन वाद्य यन्त्रों का संरक्षण करना एवं आने वाली पीढ़ी को उसके प्रति प्रोत्साहित करना।

६) भागमभाग के इस युग में आज के शिक्षित युवाओं को उनके स्वधर्म, राष्ट्र धर्म एवं मानव धर्म का बोध कराने हेतु विभिन्न आयोजन करना।

७) श्रीवल्लभ साहित्य का प्रकाशन करना एवं लुप्त प्राय ग्रन्थों का पुनः प्रकाशन करना।

८) श्रीमद्‌ वल्लभाचार्यजी के प्रमुख स्थलों एवं प्रकृति के रमणीय स्थलों के दर्शन करने हेतु यात्राएँ निकालना।

९) गरीब एवं असहाय विद्यार्थियों को बिना जाति भेदभाव के रोजगार एवं शिक्षण की व्यवस्था करना एवं शैक्षणिक संस्था संचालित करना।

१०) प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा-भूकम्प या कोई अप्राकृतिक दुर्घटना में जनहित के कार्य करना।

११) अशक्त एवं असहाय लोगों की सहायता एवं उनको आर्थिक संरक्षण प्रदान करना एवं प्रशिक्षण प्रदान करना।

१२) जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु कार्य करना।

१३) पर्यावरण की सुरक्षा एवं वृक्षारोपण द्वारा प्रकृति की सुरक्षा के प्रति जागृति पैदा करना।

१४) समय-समय पर चिकित्सा शिविरों के माध्यम से जनसेवा के कार्य करना।

१५) संस्कार शिविर-योगशिविर के माध्यम से युवापीढ़ी को स्वस्थ एवं सुसंस्कृत बनाना।